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Extra-Curricular Activities

Drama Club :Abhirang


Drama Club :Abhirang

Drama Club ABHIRANG was initiated in the year 2019 under the able guidance of the principal and patron of the college Dr. R.N.Singh. The club functions with the objective of introducing the students to the nuances of stagecraft. The students while learning the disciplines of theatre also develop the skill of listening and observation, a sense of creativity, and enhancement of their personality.



Session 2019-20


No

            Date

 Name of the Event and its Details

            Objective

            Outcome

            1.

  7.9.2019

 

Workshop on Using  Theatre as a Pedagogy for Learning Life

To make the students look at Arts and Performance not only for entertainment but as a tool for empowerment

Students were made aware of the empowering elements of  theatre

               2.

10.10.2019 to 16.10.2019

Theatre Workshop on Understanding the Character

Resource Person –Shri Ujjawal Sinha(NSD)

No. of Days -7

No. of Participants-35

To acquaint the students with the nuances of drama

Students became conversant with different types of dramatic techniques and developed a level of confidence in public speaking and other skills

             3.

   15.12.2019

Participation of students in Habib Tanveer National Drama Competition at Raipur

Title –Khwaishen

No. of Participants-08

To students an exposure of national level drama competition

The team stood second in this national level competition

              4.

8.2.21 to 12.2.21

National e-Workshop ‘Rang Bodh’

No. of Days-5

Resource Persons-

1.Shri Tanveer Akhtar

2.Shri Manimay Mukherjee

3.Dr. Usha Athley

4.Shri Rajesh Shrivastav

5.Shri Heera Manikpuri

To introduce the participants to various skills of dramatic art

The participants were exposed to various nuances of fine dramatics

 

 

 

 

 


Drama Club :Abhirang

शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग

नाट्य समिति 'अभिरंग'

रंगकर्म पर राष्ट्रीय -कार्यशालारंगबोधके आयोजन पर प्रतिवेदन

( 8 से 12 फरवरी, 2021 )


शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर महाविद्यालय दुर्ग की साहित्य समिति और नाट्यकला समिति "अभिरंग" के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित  पांच दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय नाट्य कार्यशाला "रंगबोध" सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। इसमें लगभग सौ प्रशिक्षओं ने नाट्यकला के विषय में मूलभूत तथा अद्यतन जानकारी प्राप्त की। इसमें रंगकर्म के उन अनुभवी कलाकारों ने प्रशिक्षण दिया जो इस क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित कर चुके हैं। प्रशिक्षकों में विख्यात रंगकर्मी तनवीर अख़्तर (पटना), डॉ. उषा आठले (रायगढ़), राजेश श्रीवास्तव और मणिमय मुखर्जी (इप्टा, भिलाई) तथा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से प्रशिक्षित हीरा मानिकपुरी सम्मिलित थे।इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के नाट्यकला विभाग के प्रमुख डॉ. योगेंद्र चौबे ने भी कार्यशाला में सक्रिय भागीदारी की तथा अपने सुझावों से प्रशिक्षुओं को लाभान्वित किया।

कार्यशाला के अंतर्गत प्रथम दिवस में पटना के वरिष्ठ रंगकर्मी व निर्देशक श्री तनवीर अख्तरके द्वारा " नाटक और रंग कर्म का सामान्य परिचय " विषय पर केंद्रित अपने वक्तव्य में नये और पुराने रंगकर्मियों को जोड़ने का प्रयास किया तथा स्क्रिप्ट पठन व संवाद काल, अभिनय कला पर बेहतरीन सुझाव दिए।

कार्यशाला के दूसरे दिन इप्टा भिलाई के वरिष्ठ रंगकर्मी व संगीत निर्देशक श्री मणिमय मुखर्जी ने रंग संगीत के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बिना संगीत के सफल नाट्य मंचन की कल्पना नहीं की जा सकती है। जिस तरह जीवित मनुष्य के लिए सांस लेना आवश्यक है ठीक उसी तरह उम्दा रंगकर्म के लिए संगीत की समझ आवश्यक है।

तीसरे दिन रायगढ़ इप्टा की वरिष्ठ रंगकर्मी डाॅ.ऊषा आठले ने रंगकर्म के महत्वपूर्ण भाग "इंप्रोवाइजेशन (आशुवाचिकता) " के बारे में बताया कि किस तरह एक अभिनेता आशुवाचिकता के अभ्यास से अच्छे व सशक्त अभिनेता के रूप में रंगमंच में स्वयं को  स्थापित कर सकता है।
चौथे दिन भिलाई इप्टा के निर्देशक राजेश श्रीवास्तव जी ने "अभिनय " विषय पर व्यावहारिक उदाहरणों के साथ बेहतरीन व्याख्यान दिया तथा अच्छे अभिनय के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।

रंग बोध के अंतिम दिन प्रशिक्षुओं ने "रंग-श्रृंखला नाट्य मंच " व "इम्पल्स ऐक्टिंग एकेडमी " के निर्देशक व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली से प्रशिक्षित हीरा मानिकपुरी को सुना। उन्होंने कहा कि अभिनय सीधे मंगल ग्रह से नहीं उतरता। इसके सारे तत्व हमारे भीतर ही मौजूद होते हैं। बस सिर्फ इसे पहचानने की जरूरत है। बिल्कुल ठीक इन्ही लाइनों को चरितार्थ करते हुए उन्होंने " रंगकर्म के विभिन्न आयाम " विषय पर प्रश्नोत्तर और संवाद शैली में अपनी बात कही।

उन्होंने कहा कि रंगकर्म अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है। सिर्फ चंद घंटों का समय लेकर इसके विभिन्न पहलुओं को नहीं  समझा जा सकता। उन्होंने मेकअप , ड्रेस, लाइट व साउंड सिस्टम, बैक ग्राउंड म्यूजिक, स्टेज बनावट व उसके प्रकार,  विभिन्न नाटक व शैली, नुक्कड़ नाटक व मंच नाटकों में अंतर तथा भागदौड़ की जीवन शैली और करियर को लेकर चिंतित युवा वर्गों के लिए भविष्य की संभावना समेत अनेक बिंदुओं पर प्रकाश डाला। कार्यशाला का उद्घाटन संस्था के प्राचार्य डॉ. आर. एन. सिंह ने किया। संयोजन डॉ. सुचित्रा गुप्ता तथा संचालन डॉ. जयप्रकाश साव ने किया। प्रो. दिलीप साहू के तकनीकी सहयोग से सम्पन्न इस आयोजन में साहित्य एवं नाट्य समिति के सदस्यों प्रो. थानसिंह वर्मा, डॉ. सुचित्रा शर्मा, दो. के. पद्मावती, डॉ. ज्योति धारकर, डॉ. अनुपमा कश्यप, डॉ. तरलोचन कौर, डॉ. मर्सी जॉर्ज, प्रो. जनेन्द्र दीवान ने योगदान दिया।
संयोजक